हर साल 1 अगस्त को वर्ल्ड लंग कैंसर डे मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य है लोगों को फेफड़े के कैंसर (लंग कैंसर) के लक्षण, कारण, बचाव और इलाज के बारे में जागरूक करना। यह कैंसर न केवल भारत में बल्कि पूरी दुनिया में मौत की एक बड़ी वजह बन चुका है। इसकी सबसे बड़ी चुनौती यह है कि शुरुआती लक्षण नजर ही नहीं आते। यही वजह है कि इसे साइलेंट किलर कहा जाता है।
लंग कैंसर को क्यों कहा जाता है साइलेंट किलर
मैक्स हॉस्पिटल, वैशाली के पल्मोनोलॉजी विभाग के निदेशक डॉ. शरद जोशी बताते हैं कि लंग कैंसर को साइलेंट किलर इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसके शुरुआती लक्षण इतने सामान्य होते हैं कि लोग उन्हें सामान्य सर्दी-खांसी समझकर नजरअंदाज कर देते हैं। लेकिन जैसे-जैसे बीमारी बढ़ती है, इसके लक्षण गंभीर हो जाते हैं और तब तक कैंसर शरीर में फैल चुका होता है। इलाज तब जटिल हो जाता है। हर साल दुनियाभर में लाखों लोग इस बीमारी की चपेट में आ जाते हैं। आंकड़ों के मुताबिक, लंग कैंसर की वजह से मरने वालों की संख्या कई अन्य कैंसरों की तुलना में कहीं ज्यादा है। समय रहते जांच और जागरूकता ही इसका सबसे कारगर समाधान है।
शुरुआती लक्षण कैसे नजर आते हैं
लंग कैंसर के शुरू में कोई स्पष्ट लक्षण नहीं होते। अगर होते भी हैं तो वे इतने सामान्य होते हैं कि लोग उन्हें नजरअंदाज कर देते हैं। कुछ आम लक्षण इस प्रकार हैं:
- लगातार खांसी का बने रहना
- सीने में हल्का या तेज दर्द
- सांस लेने में परेशानी या दम घुटना
- थकान या कमजोरी महसूस होना
- वजन का अचानक कम हो जाना
- कभी-कभी बलगम में खून आना
इनमें से किसी भी लक्षण के लंबे समय तक बने रहने पर डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी होता है।
लंग कैंसर के प्रमुख कारण: धूम्रपान और तंबाकू
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, लंग कैंसर के लगभग 85 प्रतिशत मामलों का कारण धूम्रपान होता है। सिगरेट, बीड़ी, हुक्का और अन्य तंबाकू उत्पाद फेफड़ों की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाते हैं जिससे कैंसर होने की संभावना बढ़ जाती है। सिर्फ धूम्रपान करने वाले ही नहीं, बल्कि धूम्रपान करने वालों के आसपास रहने वाले लोग यानी पैसिव स्मोकिंग से प्रभावित लोग भी इस बीमारी के खतरे में रहते हैं। हालांकि कुछ मामले ऐसे भी होते हैं जहां व्यक्ति धूम्रपान नहीं करता लेकिन फिर भी लंग कैंसर हो जाता है। इसके पीछे वायु प्रदूषण, रसायनों का अत्यधिक संपर्क और अनुवांशिक कारण हो सकते हैं।
बचाव ही सबसे जरूरी उपाय है
लंग कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से बचने के लिए सबसे जरूरी है कि समय रहते सतर्क हो जाएं। खासकर जो लोग धूम्रपान करते हैं, उन्हें तुरंत इसे छोड़ देना चाहिए। इसके अलावा:
- स्वच्छ और प्रदूषणमुक्त वातावरण में रहना
- संतुलित और पोषक आहार लेना
- नियमित व्यायाम करना
- नियमित स्वास्थ्य जांच कराना
- शरीर में किसी भी असामान्य लक्षण को नजरअंदाज न करना
ये सभी उपाय लंग कैंसर से बचाव में मदद कर सकते हैं।
वर्ल्ड लंग कैंसर डे की जरूरत क्यों है
इस दिन का मकसद सिर्फ एक बीमारी को याद करना नहीं, बल्कि समाज में जागरूकता फैलाना है। लंग कैंसर किसी एक व्यक्ति की नहीं, पूरे परिवार की समस्या बन जाती है। इसका इलाज जितनी जल्दी शुरू हो, उतनी ही अधिक जान बचने की संभावना होती है। ग्रामीण इलाकों और छोटे शहरों में जहां मेडिकल सुविधाएं सीमित होती हैं, वहां इस दिन के ज़रिए कैंसर स्क्रीनिंग कैंप, जागरूकता अभियान और स्वास्थ्य सेमिनार आयोजित करने की जरूरत है ताकि समय रहते लोग सतर्क हो सकें।
निष्कर्ष
लंग कैंसर एक ऐसी बीमारी है जो बिना शोर किए शरीर को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाती है। इसे सही समय पर पहचानना और उसका इलाज कराना बेहद जरूरी है। शुरुआती लक्षणों को जानना, उन्हें अनदेखा न करना और नियमित जांच कराना इस साइलेंट किलर से लड़ने का सबसे प्रभावी तरीका है। इस वर्ल्ड लंग कैंसर डे पर हम सभी को ये संकल्प लेना चाहिए कि हम खुद को और अपने अपनों को इस बीमारी से बचाने के लिए पूरी जागरूकता और सतर्कता अपनाएंगे।