हर माता-पिता की यह ख्वाहिश होती है कि उनका बच्चा न सिर्फ शारीरिक रूप से स्वस्थ हो, बल्कि मानसिक रूप से भी तेज, एक्टिव और स्मार्ट बने। इसके लिए वे पौष्टिक आहार, दूध, फल, नट्स और समय पर नींद जैसी बातों का खास ख्याल रखते हैं। लेकिन कई बार एक आम सी दिखने वाली आदत, जो नुकसानदेह हो सकती है, वह है छोटे बच्चों को ज्यादा चीनी देना।
अक्सर माता-पिता सोचते हैं कि बच्चों को मीठा खिलाना नुकसानदायक नहीं है। यहां तक कि दूध पिलाते समय उसमें चीनी डालना भी आम बात है। मगर अब विशेषज्ञ इस आदत को लेकर गंभीर चेतावनी दे रहे हैं। उनके अनुसार, यह आदत बच्चों के मस्तिष्क के विकास को धीमा कर सकती है और उनके भविष्य के बौद्धिक स्तर को प्रभावित कर सकती है।
कम उम्र में शुगर क्यों बन जाती है खतरा
शोध बताते हैं कि बचपन, खासकर पहले दो साल, मस्तिष्क के विकास का सबसे महत्वपूर्ण समय होता है। इस दौरान अगर बच्चे को बार-बार एडेड शुगर दी जाए, तो उसकी सीखने की क्षमता, याददाश्त और ध्यान केंद्रित करने की शक्ति कमजोर हो सकती है। अमेरिकन जर्नल ऑफ क्लिनिकल न्यूट्रिशन में छपी एक रिसर्च के मुताबिक, 2 साल से कम उम्र के बच्चों को अगर नियमित रूप से एडेड शुगर दी जाए, तो इससे उनके ब्रेन में न्यूरल कनेक्शन कमजोर पड़ सकते हैं। यह सीधा असर उनकी कॉग्निटिव एबिलिटी यानी दिमागी कार्यक्षमता पर डालता है।
डॉक्टरों की राय क्या कहती है
दिल्ली के वरिष्ठ पीडियाट्रिशियन डॉ. रवि मलिक के अनुसार, बच्चों को बचपन से ही मीठी चीजें देना उनकी स्वाद की आदतें बिगाड़ सकता है। अगर शुरुआत में ही उनका स्वाद मीठे का हो गया, तो वे आगे चलकर सिर्फ वही चीजें खाना चाहेंगे जिनमें शुगर हो। इससे दाल, सब्जी, फल, अनाज जैसी हेल्दी चीजें उनके खानपान से बाहर हो जाएंगी। यह आदत पोषण असंतुलन का कारण बन सकती है, जो न सिर्फ दिमागी, बल्कि शारीरिक विकास में भी बाधा डालती है।
कहां-कहां छिपी होती है अतिरिक्त चीनी
बच्चों को शुगर से बचाना तब और मुश्किल हो जाता है जब शुगर सीधे दिखाई नहीं देती, बल्कि फूड आइटम्स में छिपी होती है। कई बार माता-पिता समझते हैं कि वे हेल्दी चीजें दे रहे हैं, लेकिन असल में वे शुगर से भरपूर होती हैं। जैसे:
- पैकेज्ड जूस और एनर्जी ड्रिंक
- चॉकलेट्स, कैंडी और बिस्किट
- केक, मफिन और मीठी ब्रेड
- फ्लेवर्ड दही और स्वीट सीरियल्स
ऐसी चीजों में न सिर्फ एडेड शुगर होती है, बल्कि कभी-कभी यह बच्चों के लिए तय सीमा से कई गुना अधिक होती है।
ज्यादा शुगर का बच्चों के दिमाग पर असर
बचपन में शुगर की अधिकता से बच्चों में कई तरह की मानसिक समस्याएं विकसित हो सकती हैं। इनमें प्रमुख हैं:
- पढ़ाई में फोकस करने में कठिनाई
- मेमोरी यानी याददाश्त का कमजोर होना
- बार-बार मूड बदलना या चिड़चिड़ापन
- हाइपरएक्टिविटी या फिर सुस्ती
अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स के अनुसार, इन लक्षणों को अगर नजरअंदाज किया जाए, तो बड़े होकर बच्चों में व्यवहारिक और शैक्षणिक दिक्कतें आ सकती हैं।
कितनी मात्रा में शुगर है सुरक्षित
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, 5 साल से छोटे बच्चों को रोजाना अधिकतम 25 ग्राम यानी करीब 6 छोटी चम्मच से ज्यादा शुगर नहीं दी जानी चाहिए। खासतौर पर 2 साल से छोटे बच्चों को तो किसी भी प्रकार की एडेड शुगर देने से बचना चाहिए। जितना लंबे समय तक आप उन्हें प्राकृतिक स्वादों से परिचित कराएंगे, उतना ही वे स्वस्थ और संतुलित खानपान की ओर बढ़ेंगे।
बच्चों को क्या खिलाएं?
बच्चों को स्वाद और पोषण दोनों देने के लिए कुछ आसान और हेल्दी विकल्प अपनाए जा सकते हैं:
- ताजे फल, जैसे केला, सेब या आम, जूस की बजाय बेहतर हैं
- खजूर, किशमिश, अंजीर जैसे ड्राय फ्रूट्स मिठास के लिए इस्तेमाल करें
- घर का बना हलवा, खीर या दलिया शहद की थोड़ी मात्रा के साथ
- उबले चने, मूंगफली और नट्स से प्रोटीन और हेल्दी फैट्स
साथ ही कोशिश करें कि बच्चा समय पर खाए, घर में ही बना ताजा खाना खाए और उसे किसी भी पैकेज्ड या प्रोसेस्ड फूड से दूर रखें।
मीठा कम, दिमाग तेज
अगर आप चाहते हैं कि आपका बच्चा तेज दिमाग वाला, फुर्तीला और खुशमिजाज हो, तो उसके शुरुआती दो साल बेहद अहम हैं। इन वर्षों में मीठा खाने की आदत से बचाकर आप उसके भविष्य को संवार सकते हैं। मीठे का स्वाद भले ही तात्कालिक खुशी दे, लेकिन इसके दीर्घकालिक प्रभाव शरीर और दिमाग दोनों पर पड़ते हैं। इसलिए अब समय है सजग होने का, ताकि बच्चों को एक स्वस्थ और बेहतर मानसिक विकास की ओर ले जाया जा सके।
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